एक योगिनी ने सवाल किया है कि वे सूक्ष्म शरीर में प्रवेश करना चाहती हैं, उनको कुछ किताबों का नाम बताऊं. इस बारे में मैं कोई किताबी ज्ञान नहीं रखता हूं, अगर ऐसा होता तो मैं उन्हें जरूर कुछ किताबों का नाम बता देता. लेकिन उनके इस सवाल से सूक्ष्म शरीर पर थोड़ी बात करने की इच्छा जरूर हो रही है.
पहले तो यह समझ लें कि सूक्ष्म क्या है और स्थूल क्या है? अगर आप स्थूल और सूक्ष्म पकड़ने की प्रक्रिया में अपने आप को प्रवृत्त कर देंगे तो सूक्ष्म का रहस्य समझ में आ जाएगा और यह भी समझ में आ जाएगा कि जिस सूक्ष्म में हम प्रवेश करना चाहते हैं, पहले से हम वहीं पर हैं. योगीजन स्थूल शरीर की मर्यादाओं को पार कर जाते हैं. लेकिन ऐसा वे कोई चमत्कार दिखाने के लिए नहीं करते हैं. यह एक स्वाभाविक प्रक्रिया होती है जो सिद्धी बन जाती है. पानी पर चलना, हवा में उड़ना, एक वक्त में कई स्थानों पर उपस्थित हो जाना सूक्ष्म शरीर को धारण कर देने के लक्षण होते हैं. अगर यह सब चमत्कार करने के लिए सूक्ष्म शरीर धारण करना है तो किसी ऐसे योगी की शरण में जाना चाहिए जिन्हें इस प्रकार की सिद्धी मिल गयी हो. अगर आपकी पात्रता होगी तो योगी निश्चित रूप से आपको सूक्ष्म शरीर में प्रवेश करा देंगे.
लेकिन जो सूक्ष्म शरीर के रहस्य को भेद गये हैं वे स्थूल को ही सूक्ष्म का विस्तार देखते हैं. जिसे हम स्थूल कहते हैं वह पांच तत्वों का समावेश है. धरा परिमण्डल में जिन पांच तत्वों का अस्तित्व मिलता है वह स्थूल है. इसी स्थूल के विभिन्न रूप प्रकट होते हैं. प्रकृति में जो कुछ विद्यमान है वह इन्हीं पांच तत्वों का सम्मिश्रण है. लेकिन इन पांच तत्वों के मिलने भर से स्थूल तो निर्मित हो जाता है, प्राणवान नहीं हो सकता. मसलन कोई खिलौना बन जाए लेकिन वह चलायमान तब होता है जब उसमें बैटरी लगा दी जाए. आन करो खिलौना नियत गतिविधियां करने लगता है. ऐसे ही अस्तित्व में जो कुछ स्थूल है उसका प्राणतत्व शून्य है. शून्य यानी सूक्ष्म. इसे आप आत्मा कह लीजिए या फिर आज के वैज्ञानिक भाषा में जीरो पॉवर. इसी आत्मा के संयोग से प्राण निर्मित होता है जो स्थूल को गतिमान कर देता है.
जो सूक्ष्म में प्रवेश करना चाहते हैं वे अपने बाहरी इंद्रियों के ठीक विपरीत आंतरिक इंद्रियों पर केन्द्रित होना शुरू कर दें. मसलन एक आंख बाहर देख रही है, लेकिन यह आंख बाहर के देखे दृश्य जिसे दिखा रही है उसे देखना शुरू करो. कान बाहर की आवाज सुन रहा है लेकिन बार की आवाज जिस आंतरिक व्यवस्था को भेज रहा है उसे सुनना शुरू करो. श्वास प्रश्वास जिसे अनुभव कर रहे हो, उसके सहारे उस श्वांस तक पहुंचने की कोशिश करो जिसे यह संचालित कर रहा है. देखना बाहर की आंख जो देख रही है, बाहर का कान जो सुन रहा है और बाहर का श्वास प्रश्वास जो संचालित कर रहा है वह शरीर की आंतरिक व्यवस्था में किस केन्द्र को छू रहा है. यह करना खुद है इसलिए बहुत किताबों के चक्कर में पड़ने की जरूरत नहीं है. अपने अनुभव ले लेना, उसके बाद अपनी ही कोई किताब लिख देना. क्योंकि जो तुम्हारा अनुभव आयेगा वह अनुभव और किसी के काम का नहीं होगा. कोई चाहे तो सूक्ष्म शरीर यात्रा का विस्तृत विवरण लिख दे, लेकिन अनुभव सिर्फ और सिर्फ तुम्हारे अपने लिए होगा. और फिर हम सबका अपना प्रारब्ध साथ चलता है. हमें जो हासिल होगा, जिस व्यवस्था से और जितने समय में हासिल होगा वह किसी और पर कभी लागू ही नहीं हो सकता. सबके अपने अपने कर्म और उन कर्मों के संचित प्रारब्ध हैं.
सूक्ष्म की यात्रा विकट नहीं बल्कि स्थूल के बहुत निकट होती है. हम हैं, कि यात्रा करते ही नहीं. बातें करते हैं. स्थूल से सूक्ष्म को देखना चाहते हैं. स्थूल को छोड़ते जाओ सूक्ष्म अपने आप प्रकट हो जाएगा. बाहर की वाणी को विराम दो, अंदर का मौन उठना शुरू हो जाएगा. प्रकट स्थूल से अपनी आंतरिक इंद्रियों को हटाना शुरू कर दो, सूक्ष्म शरीर प्रकट हो जाएगा. लेकिन यह प्रयोग करना तभी जब सूक्ष्म से सामना करने का सामर्थ्य और संकल्प हो. नहीं तो स्थूल में रहो, बहुत आनंद है. नाहक भटक जाओगे और कहीं अटक गये तो वापस भी नहीं आ पाओगे.
lekh ke ant me di gai apki slaah bade kam ki malum hoti h.
H.No. -44 Khajurikala, Avadhpuri, Amratpur Bhopal
di gai jankari ke liye dhanyavad,N.k.Dwivedi,Jagdalpur
Dear sir,
Main is baat se sahmat nahi hun kyonki hamara samband nabhi se hota hai isliye suksham sharir kahi par atak nahi sakta ………….sunder singh
Sahi kaha apne shuksm sharir nahi atakta
ITS A VERY B’FULLL JOURNEY…I DAILY TEACH TO MY STUDENTS…
Absolute truth.
THANKS !
Uma shankar trivedi DELHI
Plz inform about pran yoga .and provide me all books name who related pran yoga.and plz tell me your personal experience…. plz sir in short I think you help me for understand the power of yoga
bahoot bdiya Likha h
Muje sukham sharir ke baare me aur janana hai
साधनाकाल मे यदि सोते समय (नींद में) अचानक सूक्ष्म व स्थूल दोनो शरीर के दर्शन हो जाये तो पुन: सूक्ष्म शरीर स्थूल शरीर मे आयेगी या नहीं?
कृपया समाधान करें..
Aa jayegi nind khulne se pahle chetna aate hi shuksn sharir karan sharir me aa jata
Anubhav krna hi padega.
NAmaskaar
Aapke artical best exp hai.
Naad baj raha hai kya karun. ?ajpne
Anhbhav se maarg darshan karsn
Dhanyavaad
Nice line