योगनिद्रा-2

योगनिद्रा की विधि

जमीन या फिर अपने बिस्तर पर कोई कंबल या चटाई बिछाकर  लेट जाईये. पीठ नीचे पेट उपर. मुलायम बिस्तर और सिर के नीचे तकिया नहीं होना चाहिए. दोनो हाथ बगल में, हथेलियां आसमान की ओर. दोनों पैरों के बीच सहज दूरी रखिये. शरीर को पूरा निढाल छोड़ दिजीए जिससे कहीं कोई तनाव या उलझाव महसूस न हो.

आंखें बंद.

और बंद आंखों से मन में दोहराईये कि मैं योगनिद्रा का अभ्यास करने जा रहा हूं. और इस अभ्यास से पूर्व मेरा शरीर पवित्र हो. मेरे विचार पवित्र हों. मेरा हृदय और भावनाएं पवित्र हों. मेरी प्राणशक्ति शुद्ध और ओजयुक्त हो.

अब बंद आंखों से अपने पूरे शरीर का मानस दर्शन करिए. ध्यान रखना है कि जिन-जिन अंगों का मैं नाम ले रहा हूं आप अपने मन को वहां ले जाएंगे.

दाहिने  हाथ का अंगूठा, पहली अंगुली, दूसरी, तीसरी, चौथी, हथेली, कलाई, केहुनी, भुजा, कंधा, दाहिनी बगल, कमर, जांघ, घुटना, पिंडली, टखना, एड़ी, तलुआ, दाहिने पैर का पंजा, दाहिने पैर का अंगूठा, पहली अंगुली, दूसरी, तीसरी, चौथी, पांचवी

अब यही क्रिया बाईं ओर से.

बायें  हाथ का अंगूठा, पहली अंगुली, दूसरी, तीसरी, चौथी, हथेली, कलाई, केहुनी, भुजा, कंधा, बाईं बगल, कमर, जांघ, घुटना, पिंडली, टखना, एड़ी, तलुआ, बाएं पैर का पंजा, बाएं पैर का अंगूठा, पहली अंगुली, दूसरी, तीसरी, चौथी, पांचवी

अब पूरे शरीर का मानसिक स्मरण का करना है.

दाहिना हाथ पूरा. बायां हाथ पूरा. दोनों हाथ एक साथ. सीने का दाहिना हिस्सा. सीने का बायां हिस्सा. सीने का मध्य भाग. पूरा सीना एक साथ. पेट का ऊपरी हिस्सा. पेट का निचला हिस्सा. पूरा पेट एक साथ. पूरी पीठ. दाहिना पुट्ठा, बायां पुट्ठा. दोनों पुट्ठे एक साथ. सीढ़ की हड्डी ऊपर से नीचे तक. दाहिना नितंब. बायां नितंब. दाहिनी जांघ. बायीं जांघ. दाहिना पैर पूरा. बायां पैर पूरा. दोनो पैर एक साथ.

दाहिनी आंख, बायीं आंख. दाहिनी भौंह, बायीं भौंह. दोनों भौहों के बीच में भ्रूमध्य. पूरा माथा. दाहिना कान. बायां कान. दाहिना कपोल, बायां कपोल. दाहिनी नासिका रंध्र, बायीं नासिका रंध्र. ऊपर का होंठ, नीचे का होंठ. ठुड्ढी. गर्दन. दाहिना कंधा, बांया कंधा. सिर के पीछे का हिस्सा जो अभी जमीन को छू रहा है. और पूरा सिर. और पूरा सिर.

अपने पूरे शरीर को देखो. अपने पूरे शरीर को देखो. अपने पूरे शरीर को देखो.

देखो कि तुम्हारा शरीर जमीन पर लेटा हुआ है. और तुम योगनिद्रा करने जा रहे हो. अब एक संकल्प करो. वह संकल्प इस प्रकार होना चाहिए.

मैं शरीर नहीं हूं. मैं स्वास-प्रस्वास नहीं हूं. मैं बुद्धि और विचार नहीं हूं. मैं हृदय और भावनाएं नहीं हूं. मैं नाभि और प्राण नहीं हूं. मैं इन सबको देखनेवाला आत्मा हूं. मैं वह आत्मा हूं जो सारे ब्रह्मांड में व्याप्त है. योगनिद्रा में मैं आत्मा का अनुभव करना चाहता हूं. मैं आत्मा का अनुभव करना चाहता हूं इस संकल्प के साथ तुम योगनिद्रा शुरू करोगे.

अब शरीर और जमीन के बीच जो संपर्क बिन्दु है उसका अनुभव करना है. दाहिना पैर और जमीन. बायां पैर और जमीन. दोनों नितंब और जमीन.  पीठ और जमीन. दाहिना हाथ और जमीन. बायां हाथ और जमीन. दोनों पुट्ठे और जमीन. सिर के पीछे का हिस्सा और जमीन.

थोड़ी देर इसी संकल्प के साथ स्वांस प्रस्वास करते रहो. और शरीर में होने वाली अनुभूतियों को अनुभव करो. हवा के स्पर्श को अनुभव करो. आस-पास किसी प्रकार की आवाज हो रही हो  तो उसका अनुभव करो. शरीर की स्थिरता का अनुभव करो. मन की शांति का अनुभव करो.

हरि ऊँ तत् सत् 

6 Responses

  1. MEREY NIKAT SAMBANDHI KO YOGNIDRA V KUCH AUR YOGIK AASANO KII SAHAAYATAA SE HEART RELATED PROBLEMS ME BAHUT FAIYDAA HUA HAI….IS VISHAY PER BLOG CHARCHAA KE LIYE AABHAAR

  2. good afternoon sir it is to good

  3. man ko band de esa yog hona chahiey

  4. INFORMATION IS VERY USEFULL

  5. It’s very wonder ful

  6. kundlini jagrut hone par muladharchakra me kya mahesus hota he aur dhyan k samay hi hota he ye hamesa k liye hota he kya mahesus hota he

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