योगनिद्रा

बहुत सारे लोग लगातार टिप्पणियां भेज रहे हैं कि मैं योगनिद्रा पर लिखूं. उसकी विधि के बारे में बताऊँ. आप सबसे मेरा निवेदन है कि योगनिद्रा के बारे में पढ़ने से ज्यादा कारगर है अभ्यास. विधि का उल्लेख मैं यहां कर रहा हूं. आज सिर्फ पहले चरण का  उल्लेख कर रहा हूं. आगे समय-समय पर पूरे दस चरणों के अभ्यास की विधि मैं लिखूंगा.

अगर आप अभ्यास करना चाहते हैं. इस पहले चरण का अभ्यास शुरू कर दिजीए.

योगनिद्रा की विधि

जमीन या फिर अपने बिस्तर पर कोई कंबल या चटाई बिछाकर  लेट जाईये. पीठ नीचे पेट उपर. मुलायम बिस्तर और सिर के नीचे तकिया नहीं होना चाहिए. दोनो हाथ बगल में, हथेलियां आसमान की ओर. दोनों पैरों के बीच सहज दूरी रखिये. शरीर को पूरा निढाल छोड़ दिजीए जिससे कहीं कोई तनाव या उलझाव महसूस न हो.

आंखें बंद.

और बंद आंखों से मन में दोहराईये कि मैं योगनिद्रा का अभ्यास करने जा रहा हूं. और इस अभ्यास से पूर्व मेरा शरीर पवित्र हो. मेरे विचार पवित्र हों. मेरा हृदय और भावनाएं पवित्र हों. मेरी प्राणशक्ति शुद्ध और ओजयुक्त हो.

आप योगनिद्रा करने जा रहे हैं. अब एक संकल्प करें. जैसे हर कार्य के पहले हम संकल्प करते हैं उसी प्रकार इस कार्य से पूर्व भी हमें एक संकल्प करना होगा. वह संकल्प इस प्रकार होना चाहिए.

मैं शरीर नहीं हूं. मैं स्वास-प्रस्वास नहीं हूं. मैं बुद्धि और विचार नहीं हूं. मैं हृदय और भावनाएं नहीं हूं. मैं नाभि और प्राण नहीं हूं. मैं इन सबको देखनेवाला आत्मा हूं. मैं वह आत्मा हूं जो सारे ब्रह्मांड में व्याप्त है. और योगनिद्रा में मैं अपनी आत्मा का अनुभव करना चाहता हूं. मैं आत्मा का अनुभव करना चाहता हूं.

अब बंद आंखों से अपने पूरे शरीर का मानस दर्शन करिए. ध्यान रखना है कि जिन-जिन अंगों का मैं नाम ले रहा हूं आप अपने मन को वहां ले जाएंगे.

दाहिने  हाथ का अंगूठा, पहली अंगुली, दूसरी, तीसरी, चौथी, हथेली, कलाई, केहुनी, भुजा, कंधा, दाहिनी बगल, कमर, जांघ, घुटना, पिंडली, टखना, एड़ी, तलुआ, दाहिने पैर का पंजा, दाहिने पैर का अंगूठा, पहली अंगुली, दूसरी, तीसरी, चौथी.

अब यही क्रिया बाईं ओर से.

 बायें  हाथ का अंगूठा, पहली अंगुली, दूसरी, तीसरी, चौथी, हथेली, कलाई, केहुनी, भुजा, कंधा, बाईं बगल, कमर, जांघ, घुटना, पिंडली, टखना, एड़ी, तलुआ, बाएं पैर का पंजा, बाएं पैर का अंगूठा, पहली अंगुली, दूसरी, तीसरी, चौथी.

अब पूरे शरीर का मानसिक स्मरण का करना है.

दाहिना हाथ पूरा. बायां हाथ पूरा. दोनों हाथ एक साथ. सीने का दाहिना हिस्सा. सीने का बायां हिस्सा. सीने का मध्य भाग. पूरा सीना एक साथ. पेट का ऊपरी हिस्सा. पेट का निचला हिस्सा. पूरा पेट एक साथ. पूरी पीठ. दाहिना पुट्ठा, बायां पुट्ठा. दोनों पुट्ठे एक साथ. सीढ़ की हड्डी ऊपर से नीचे तक. दाहिना नितंब. बायां नितंब. दाहिनी जांघ. बायीं जांघ. दाहिना पैर पूरा. बायां पैर पूरा. दोनो पैर एक साथ.

दाहिनी आंख, बायीं आंख. दाहिनी भौंह, बायीं भौंह. दोनों भौहों के बीच में भ्रूमध्य. पूरा माथा. दाहिना कान. बायां कान. दाहिना कपोल, बायां कपोल. दाहिनी नासिका रंध्र, बायीं नासिका रंध्र. ऊपर का होंठ, नीचे का होंठ. ठुड्ढी. गर्दन. दाहिना कंधा, बांया कंधा. सिर के पीछे का हिस्सा जो अभी जमीन को छू रहा है. और पूरा सिर. और पूरा सिर.

अपने पूरे शरीर को देखो. अपने पूरे शरीर को देखो. अपने पूरे शरीर को देखो.

देखो कि तुम्हारा शरीर जमीन पर लेटा हुआ है. और शरीर और जमीन के बीच स्पर्श हो रहा है. अब शरीर और जमीन के बीच इस स्पर्शबिन्दु को अनुभव करो. दाहिना पैर और जमीन. बायां पैर और जमीन. दोनों नितंब और जमीन. पीठ पूरी और जमीन. पुट्ठे दोनों और जमीन. दाहिना हाथ और जमीन. बायां हाथ और जमीन. सिर के पीछे का हिस्सा और जमीन. 

जमीन के साथ शरीर को अनुभव करने से शरीर की जैसी भी स्थिति बने इसी स्थिति में थोड़ी देर स्वांस प्रस्वास करते रहो. और शरीर में होने वाली अनुभूतियों को अनुभव करो. हवा के स्पर्श को अनुभव करो. आस-पास किसी प्रकार की आवाज हो रही हो  तो उसका अनुभव करो. शरीर की स्थिरता का अनुभव करो. मन की शांति का अनुभव करो.

पहला चरण पूर्ण हुआ.

हरि ऊँ तत् सत् 

(सारी विधि और प्रेरणा मेरे गुरू परमहंस स्वामी सत्यानंद सरस्वती की है. मैं सिर्फ प्रस्तुतकर्ता हूं.)

।। अलख निरंजन ।।

20 Responses

  1. योगनिद्रा के बारे मे जानकारी देने का शुक्रिया!

  2. शुक्रिया इस बारे में जानकारी देने का।

  3. thanx a lot for such a wonderful tips. would be great if such more tips are mentioned here or sent at my email address

    thanx

    om prakash
    9811354520

  4. is asan ka laabh bataiye guruji

  5. I WANT TO KNOW ABOUT VIPPASANA DHAYANA KYA SANSON KO DEKHNE SE DHYAN HOTA HAI . SOME GURU TELLING THAT NO MANTRA WILL BE RECITE IN VIPASSANA WHAT IS THE REALITY LET ME KNOW

  6. This is an wonderfull idea. But when i do this i lost my constration.
    how can i do this properly.
    Tell me about this please………………..

    Wani Jahan Na Ja Sake………There Is OSHO…………….

    • मैं आपसे विस्तार से जानना चाहूंगा कि आपके साथ क्या घटित हो रहा है.
      १. आपकी उम्र क्या है और आप कबसे यह सब प्रयोग कर रहे हैं?
      आपके साथ जो कुछ हो रहा है वह साधना मार्ग में अच्छा लक्षण है.

  7. मैने सुना था के योगनिद्रा सप्ताहमे एकही बार करनी होती है। क्या ये सच है???योगनिद्रा रातको करनी चाहीये या सुबह??

    • यह इस बात पर निर्भर करता है कि आप योगनिद्रा किस उद्येश्य को हासिल करने के लिए कर रहे हैं. अगर आप योगनिद्रा सिर्फ सामान्य शारीरिक आराम के लिए कर रहे हैं तो रात में सोने से पहले का समय सबसे बेहतर है. लेकिन अगर आप योगनिद्रा का अभ्यास उच्चतर साधना के लिए कर रहे हैं तो भोर, मध्य दोपहर या फिर संध्याकाल का समय अच्छा रहेगा. ये तीनों संधिकाल हैं और संधिकाल में साधना सर्वोत्तम होती है.
      इसे नियमति करें तो ज्यादा अच्छा रहेगा.

  8. good

  9. he prabhu,
    me pichle kayi salo se kisi guru ki khoj me hu jo muze is sasar ko samaz ne me madad kare or guru gyan de kar is jivan ke andhkar se mukt kare.

    me sirf aap se binti karta hu ki kaise bhi karke aap meze guru gyan pradan kare. plllz.

  10. धन्यवाद योग निद्रा की जानकारी के लिए

  11. I wand my marriage time and when my government job my date of birth 23October 19879

  12. kya yoga ninda ka hindi audio mill sakti hai..mujhe iski jarurat hai

  13. pranipaat pyare..

    Feb 2012 ke baab aapka koi abhilekh nai aaya..

    main bohat hi utsuk hu aapke dwara diye gyan ko lekar..

    dono hath jod k binti hai k aap aapni site k sath regular attach rahe..

    aapne liye nai prabhu k liye

    dhanyavaad..

  14. Mere pass email nahi hai mere m no par message kare ki yoga me vo koun sa yog hai jiss se aap apne body se nikal kar aap jaha chahe vaha ja skate hairor Jo dekhna cha hai dekg skate hair

  15. Es aatma ko bhagwan se kaise joore.

  16. cghghloufgfjuyty870iigfgt

  17. urja ka urdhw gating me banana
    Jaise king kobara

  18. Pehle to sir apko bahut bahut dhanyavad ..
    Apne Jo setu bandha hai manav ka Yog se wo bahut hi kargar hai avam mahatva purna hai.Mera prashna ye hai ki” atma se parmatma ka saksatkar kaise hota hai ”
    Mera name a nivedan hai kripiya utter de

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